5 शिक्षाप्रद बच्चों की मनपसंद कहानियां हिन्दी में

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1. मेहनती किसान की कहानी – Story of Hardworking Farmer:

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एक बार की बात है, नहरपुर गाँव में देवीप्रसाद नाम का एक किसान रहता था। जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन, वह किसान बहुत मेहनती था। उसके पास एक खेत था, जिस पर वह अपने पूरे परिवार के साथ दिन रात एक करके खेती करता था। किसान यह जनता था कि बिना कठिन परिश्रम के हम खेत से कुछ अधिक पैदावारी नहीं कर सकते।

किसान के पास एक बैल था जिसका नाम हीरा था। वह उसी से अपने खेत की जुताई करता था। लेकिन, बैल बूढ़ा हो चुका था और किसान के पास इतने पैसे नहीं थे कि दूसरा बैल खरीद सके। इसलिए, वह अपने खेतों की तरह, अपने बैल का भी बहुत ध्यान रखता था। उसे प्रतिदिन नहलाता, धुलाता और उसके खाने के लिए अच्छे अच्छे चारे की व्यवस्था करके रखता था।

एक बार किसान और उसकी पत्नी खेतों में काम कर रहे थे। तभी उसी रास्ते से एक साधु महात्मा जा रहे थे। किसान ने साधु महात्मा से कुछ पूछने की इच्छा जाहिर की। साधु महात्मा ने कहा-“पूछो क्या पूछना चाहते हो”। किसान ने साधु महात्मा के चरण स्पर्श करते हुए पूछा महाराज हम दिन रात एक करके इस खेत में मेहनत करते हैं। लेकिन, हमें पूरे साल के लिए पर्याप्त अनाज नहीं मिल पाता। हम क्या करें, आप हमारा मार्गदर्शन कीजिए।

साधु महात्मा ने किसान से पूछा कि आप कितने साल से इस खेत में फसल उगा रहे हो। किसान ने बताया कि महाराज! पहले, जब भी बारिश होती थी तब हम बीज डालकर चल जाते थे। लेकिन, मुझे अच्छी फसल नहीं मिलती थी। जबकि, अब हम इस बार से अधिक मेहनत कर रहे हैं और इस खेत को उपजाऊ भी बना दिया हैं। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हो रहा हैं कि हमें इस बार अच्छी फसल मिलेगी।

साधु ने किसान से कहा-“खेत को उपजाऊ होने में कम से कम दो से तीन साल लग जाते हैं। इसी मेहनत से खेत में काम करते रहोगे तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ। एक दिन आपके खेत में इतनी फसल होगी कि आपके घर में रखने की जगह नहीं रहेगी”। साधु की बातें सुनकर किसान के मन में एक आस जागी और वह पहले से भी अधिक मेहनत करने लगा।

अगले वर्ष बारिश भी अच्छी हुई और किसान के खेत में फसल भी बहुत अच्छी हुई। उस साल ठीक वैसा ही हुआ जैसा कि साधु ने बोला था। फसल कटने के बाद अब किसान के घर में अनाज रखने की जगह नहीं बची। जिसकी वजह से किसान ने कुछ अनाज को बेच दिया। देखते ही देखते किसान उस गाँव का सबसे बड़ा आदमी बन गया। इसके अलावा उसने और कई खेत खरीद लिए अपने परिवार के लिए बड़ा घर गाड़ी आदि खरीद लिया। इस तरह से किसान को अपनी मेहनत पर अटूट भरोसा हो गया कि अगर इंसान चाहे तो अपनी मेहनत के बल पर कुछ भी हासिल कर सकता हैं।

कहानी से शिक्षा:

सफलता केवल उन्हीं को मिलती है जो मेहनत और कर्म में विश्वास रखते हैं।

2. सच्चे दोस्त की पहचान – Identity of True Friend:

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कुछ समय पहले की बात हैं, श्रीपुर नामक गाँव में दो दोस्त रवि और विजय रहते थे दोनों में बहुत घनिष्ट मित्रता थी। दोनों दोस्त हमेशा एक दूसरे के साथ ही रहते थे। रवि एक मध्यम परिवार से था। जबकि, विजय के पिता श्रीपुर गाँव के सबसे बड़े व्यापारी थे। दोनों की परवरिश में काफी फर्क था, लेकिन उनकी दोस्ती में कोई कमी नहीं थी।

सब लोग रवि की ईमानदारी और मेहनत की सराहना करते थे। रवि को यह पता था कि ईमानदारी और दोस्ती से बड़ा कोई धन नहीं होता। दूसरी तरफ, विजय की ज़िंदगी में पैसों की कोई कमी नहीं थी, और वह अपने पिता की दौलत के दम पर सबकुछ हासिल करने की कोशिश करता था। धीरे-धीरे समय बीतता गया, और दोनों दोस्तों की जिंदगी में बदलाव आने लगे। रवि अपनी पढ़ाई के बाद एक छोटे से व्यवसाय में जुट गया, जबकि विजय ने अपने पिता का व्यापार संभाल लिया। दोनों अब भी अच्छे दोस्त थे, लेकिन उनके रास्ते अलग-अलग थे।

समय के साथ रवि का व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ने लगा, लेकिन एक बड़ी आर्थिक समस्या के चलते वह कर्ज में डूब गया। उसके पास अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए भी पैसे नहीं बचे थे। परेशानी से घिरे, रवि ने सोचा कि वह अपने सबसे अच्छे दोस्त विजय से मदद मांगेगा। क्योंकि, उसने हमेशा उसकी सहायता की थी।

रवि ने हिम्मत करके विजय से मदद मांगी। लेकिन विजय ने यह कहकर मना कर दिया कि “व्यापार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता, मेरा व्यापार अभी मंदा चल रहा है।” यह सुनकर रवि हैरान और निराश हो गया। लेकिन, उसने हार नहीं मानी। वह जानता था कि खुद पर विश्वास रखकर, मेहनत करके वह कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता हैं।

अपने कर्ज को चुकाने के लिए रवि ने किसी और से मदद लेने की बजाय दिन-रात मेहनत करना शुरू कर दी। उसने अपने सभी साधनों का उपयोग करके धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को फिर से खड़ा किया। कठिन परिश्रम और ईमानदारी के बल पर कुछ सालों में उसका व्यवसाय बहुत बड़ा हो गया। अब वह नगर के सबसे प्रतिष्ठित व्यवसायियों में से एक बन गया था।

एक दिन विजय का व्यवसाय डूबने लगा और उसे भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। अब उसकी स्थिति रवि जैसी हो गई थी। वह मदद के लिए रवि के पास पहुंचा और पूरी बात सुनकर रवि ने एक क्षण के लिए सोचा, फिर बोला, “दोस्ती में किसी तरह का लेन-देन नहीं होता। मैं तुम्हारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हूँ।”

रवि ने उसकी सहायता की और यह साबित कर दिया कि सच्चा मित्र वही होता है, जो हर परिस्थिति में अपने दोस्त के साथ खड़ा रहे। विजय ने भी अपनी गलती समझी और रवि से माफी मांगी। इस घटना ने उनकी दोस्ती को और गहरा बना दिया।

कहानी से सीख:

सच्चा मित्र वही होता है, जो सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ा रहे।

और कहानी देखें: 5 अच्छी अच्छी छोटी कहानियां इन हिंदी – 5 Good Short Stories in Hind

3. किसान और व्यापारी की कहानी – Story of Farmer and Businessman:

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रामनगर गांव एक बहुत छोटा समृद्ध और खुशहाल गाँव था। उस गाँव में सभी एक दूसरे के सुख दुख में खड़े रहते थे। सभी के पास अधिक खेत खलिहान थे। जिससे लोग अपना भरण-पोषण करते थे। वहाँ के लोगों की खेती ही आय का प्रमुख साधन था। एक बार उस गाँव में एक व्यापारी आया। वह खेतों में लगी फसल को देखकर मोहित हो गया और उसने अपना दिमाग लगाना शुरू किया कि गाँव वालों से उनकी फसल खेत में ही खरीद लेते हैं।

अगले दिन व्यापारी अपने नगर के सबसे बड़े सेठ को लेकर आया। व्यापारी ने सभी गाँव वालों को एक स्थान पर इकठ्ठा किया और सभी से कहा-“देखो भाइयों! आप लोगों ने अपनी मेहनत के बल पर इस बार बहुत अच्छी फसल की पैदावारी की हैं। जिसको बेचकर आपको बहुत अच्छे दाम मिल जाएंगे”। हमारे सेठ इस नगर के सबसे बड़े व्यापारी हैं।

हम लोग आपकी फसल को खेतों में से ही खरीदना चाहते हैं। जिससे आप लोगों को बहुत फायदा होगा। जहाँ तक अभी फसल तैयार हैंं आप लोग हमें बेच दो, हम फसल की कटाई करवा लेंगे। आप लोगों को फसल काटने की भी जरूरत नहीं हैं। आप लोगो को नकद पैसा भी मिल जाएगा। इसके अलावा आप लोगों को बाजार में फसल भी बेचने नहीं जाना पड़ेगा।

गाँव के सभी लोग अपनी-अपनी फसल सेठ को देने के लिए तैयार हो गए। लेकिन, उसी गाँव में हरीराम नाम का एक किसान रहता था। जिसने, अपनी फसल सेठ को देने से माना कर दिया। गाँव के कुछ लोगों ने हरीराम को समझाने की कोशिश भी की। लेकिन, हरीराम ने किसी की भी बात नहीं मानी।

जब हरीराम ने अपनी फसल काटी और बाजार में बेचा तो उसे गाँव वाले लोगों से कई गुना अधिक दाम मिले। जिसको सुनकर पूरे गाँव के लोगों ने आपस में एक बैठक बुलाई और विचार विमर्श किया कि इस बार तो व्यापारी ने हमें मूर्ख बना दिया और उन्हें बहुत पछतावा हुआ। सभी ने यह निश्चित किया कि अब से हम अपनी फसल को खेतों में नहीं बेचेंगे बल्कि बाजार में ले जाकर बेचेंगे। इस प्रकार से हरीराम के निर्णय ने गाँव वालों की आँखें खोल दी।

कहानी से शिक्षा:

हमें अपने बुद्धि और विवेक के साथ कोई भी फैसला लेना चाहिए, न की किसी को देखकर।

4. युवा चित्रकार की कहानी – Story of Young Painter:

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गौतम एक बहुत ही मशहूर युवा कलाकार था, जो अपने चित्रों में जीवन की सुंदरता को उकेरता था। लेकिन एक दुर्घटना में उसने अपना दायाँ हाथ खो दिया। जिससे वह चित्रकारी करता था, इस घटना से वह बहुत दुखी हुआ और उसे लगा कि उसका जीवन अब बेकार हो गया है। उसने चित्र बनाना बंद कर दिया और खुद को अकेला कर लिया। लेकिन, एक दिन उसकी मुलाकात एक दृष्टिहीन व्यक्ति से हुई, जो बहुत खुश रहता था। उस व्यक्ति ने गौतम से कहा, “मेरी आँखों में रोशनी नहीं है। लेकिन, मैं अपने दिल की आँखों से दुनिया देखता हूँ। हर व्यक्ति के जीवन में एक दीपक होता है जो मुश्किलों में भी रास्ता दिखाता है।”

उस व्यक्ति की बातों ने गौतम के अंदर प्रेरणा भर दी। उसने अपने घर पर आकर सोचा कि मेरे पास अभी क्या हैं। गहराई से सोचने के बाद उसने पाया की उसका बायाँ हाथ अभी सही सलामत हैं। जिसको ट्रेंड करने की जरूरत हैं। उस दिन से गौतम ने अपने बाएं हाथ से चित्रकारी करना शुरू कर दिया। उसने कड़ी मेहनत और लगन से अपने बाएं हाथ को इस प्रकार से ट्रेंड किया कि उसकी चित्रकारी पहले से भी अच्छी हो गई।

उसी साल उस शहर की एक सबसे बड़ा चित्रकारी प्रतियोगिता हुई। जिसमें देश-विदेश से बहुत बड़े-बड़े मशहूर चित्रकार भी आएं। उस प्रतियोगिता में गौतम भी गया था। जिसे देख उसके अन्य चित्रकार दोस्तों ने बोला-“यह होता हैं चित्रकारी से लगाव, मेरे दोस्त के पास हाँथ नहीं हैं जो चित्रकारी करना भी छोड़ चुका हैं। इस समारोह में हम लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए आया हैं। यह बहुत बड़ी बात हैं”। गौतम ने अपने दोस्तों को जबाब दिया,”मैं आप लोगों का हौसला बढ़ाने नहीं आया हूँ। आप लोगों से मेरा मुक़ाबला हैं। आओ देखते हैं किसमें हैं कितना दम”।

उस प्रतियोगिता में गौतम ने प्रथम स्थान हासिल किया और सबको यह बता दिया कि एक रास्ता बंद हो गया तो क्या हुआ। खोजों तो सही, हजारों रास्ते मिलेंगे। इस प्रकार गौतम पहले से और अधिक लोकप्रिय हो गया जिसके कारण उसे बहुत सारे चित्रकारी करने का ऑर्डर मिलने लगा। देखते-देखते वह अपने गाँव का एक बहुत मशहूर चित्रकार बन गया।

कहानी से शिक्षा:

जीवन में मुश्किलें आती हैं, लेकिन हमारी उम्मीद और संकल्प हमें फिर से खड़ा होने की शक्ति देते हैं।

इसे भी देखें: 5 नैतिक शिक्षा से भरपूर हिंदी कहानियाँ

5. बच्चे की सूझ-बूझ की कहानी – Story of Child’s Intelligence:

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बहुत समय पहले की बात है, अमर नाम का एक गरीब बच्चा जो अपनी मां के साथ रहता था। उसकी मां बहुत बीमार रहती थी। लेकिन, अमर अपनी मां की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ता था। वह गांव के पास के जंगल में जाकर लकड़ियां काटता और बेचता था। ताकि अपनी मां का इलाज करवा सके। एक बार अमर लकड़ियाँ काटकर वपास आ रहा था। उस दिन उसे थोड़ी रात हो गई थी। उसे जंगल के रास्ते में कुछ व्यक्तियों की हल्की-हल्की आवाज सुनाई दी।

अमर ने उस आवाज के बारे में जानने की कोशिश की। उसने एक पेड़ के पीछे छिप कर देखा तो कुछ व्यक्ति उसके गाँव में उसी रात चोरी करने की बात कर रहे थे। वह जल्दी से भागते हुए अपने गाँव पहुंचा और गाँव के मुखिया के घर जाकर जंगल की सारी बातें बता दी। गाँव के मुखिया ने गाँव वालों के साथ मिलकर चोरों को पकड़ने का प्लान भी बना लिया।

उस रात सभी ने जल्दी ही अपने घर की लाइट बंद कर दी। चोरों को लगा कि इस गाँव में सब सो चुके हैं। वे एक घर में जैसे ही चोरी करने के लिए घुसे, सभी ने अपने घर की लाइट जाला दी। जिसके कारण गाँव के लोगों ने चोरों को पकड़कर बंदी बना लिया। अगली सुबह जब गाँव के मुखिया ने दरबार लगाया तो उन चोरों को दंड की सजा सुनाई गई। इसके साथ-साथ अमर को उसकी बुद्धिमानी और सूझ-बुझ के लिए पुरस्कार भी दिया गया।

कहानी से शिक्षा:

इस कहानी से हमें सीख मिलती हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो हमें कभी घबराना नहीं चाहिए। हमें हर काम को बहुत सूझ-बुझ के साथ करना चाहिए।

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