कहानी ऐसी होनी चाहिए जो आपके बच्चे का मनोरंजन के साथ-साथ उसके बौद्धिक विकास को बढ़ावा दे। जबकि, कहानी का उद्देश्य मात्र बच्चे का मनोरंजन करना नहीं होना चाहिए बल्कि बच्चे को उससे अनेकों प्रकार की सीख भी मिलनी चाहिए। छोटे बच्चों की कहानी ऐसी होनी चाहिए जो बच्चे के अंदर किसी भी प्रकार डर की भावना को जन्म न दे बल्कि बच्चे को उत्साहित करें और उसे कहानी में आगे क्या होने वाला हैं उसके बारे में सोचने की उत्सुकता प्रकट करें।
चील और उसका परिवार:
एक बहुत पुराना पीपल का विशाल पेड़ था, जिस पर चील और उसका परिवार घोंसले में रहते थे। उसी पेड़ के नीचे मुर्गी का भी परिवार रहता था। एक बार चील का एक अंडा गिरकर मुर्गी के अंडे में मिल गया। मुर्गी अपने अंडे की तरह चील के अंडे की भी देख-रेख करती और उसे अपना समझती थी। क्योंकि, उसको दोनों अंडों में कोई फर्क नहीं दिख रहा था। धीरे-धीरे कई दिन बीत गए एक दिन चील और मुर्गी के सभी अंडों से चूजे निकल आए।
चील अपने चूजों का बहुत ध्यान रखती थी धीरे-धीरे उन्हे बड़ा करके उड़ना सीखाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते चील के सारे बच्चों ने आकाश की ऊँचाइयों को छूना शुरू कर दिया और अपने शक्तिशाली पंजों और दूर दृष्टि वाली आँखों से अपना शिकार करना शुरू कर दिया। जिसके कारण चील के माता-पिता को अपने बच्चे के ऊपर अब ज्यादा ध्यान नहीं देना पड़ता था। वह अपना भोजन खुद एकट्ठा कर लेते थे।
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मुर्गी और उसका परिवार:
लेकिन, उसी पेड़ के नीचे मुर्गी के बच्चे धीरे-धीरे बड़े होकर कीड़े-मकोड़े खाना, बाग लगाना, फुदकना आदि करते थे। जबकि, मुर्गी के बच्चे बहुत ऊपर नहीं उड़ पाते थे। वे कुछ ही दूरी तक उड़ते और फिर से जमीन पर बैठ जाते थे। अधिकतर मुर्गी के बच्चे अपने पैर से चलकर जाते थे अपने पंखों के सहारे उड़ने की कोशिश भी नहीं करते थे। उसी बच्चों में चील का बच्चा भी वही कर रहा था जो अन्य सभी मुर्गी के चूजे करते थे।

एक दिन चील का परिवार ऊपर पेड़ पर बैठा था और नीचे मुर्गी के बच्चों को देख रहे थे। अचानक एक चील की नजर नीचे चल रहे चील के बच्चे पर पड़ती हैं जो मुर्गी के बच्चों की तरह कीड़े-मकोड़े को खाना, फुदक-फुदक कर चलना और सभी चूजों की तरह बाग लगाना आदि कर रहा था। यह सब ऊपर से देख रहे चील और उसके परिवार को याद आ गया कि यह तो हमारे गिरे हुए अंडे से निकला हुआ बच्चा हैं।
संगत का प्रभाव:
चील और उसके परिवार को बहुत आश्चर्य हुआ की हमारा बच्चा किस संगत में पड़ गया हैं? जिसके कारण हमारा बच्चा वहाँ के रहन-सहन को अपना चुका हैं। जबकि, हमारे बच्चे का जन्म आसमान की ऊँचाइयों को छूने के लिए हुआ था। अपने शक्तिशाली पंजों और तेज दृष्टि के कारण मनपसंद शिकार करने के लिए हुआ था। चील का परिवार एक दूसरे को देख कर मन ही मन बहुत दुखी होकर सोचने लगे।
चीलों के मुखिया ने बोला घबराओ मत हमें मुर्गी से बात करनी चाहिए और उन्हें बोलना चाहिए कि यह बच्चा हमारा हैं। चील ने ठीक ऐसा ही किया। जबकि, मुर्गी के बच्चे और चील के बच्चे में अंतर करके भी दिखाया। जिसके कारण मुर्गी ने चील के बच्चे को वापस करने के लिए स्वीकार कर लिया और चील को उसके बच्चे को दे दिया।
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चील और उसके परिवार के लोगों के अथक प्रयास के कारण उसका बच्चा धीरे-धीरे आसमान की ऊँचाइयों को छूने लगा और अपने पंजों के बल पर बड़े-बड़े शिकार करने लगा। यह सब देख चील और उसका परिवार खुशियों से भर उठा और उसके परिवार में उन्ही की तरह का एक और सदस्य जुड़ गया। जिसके कारण चील के परिवार में खुशी का माहौल रहने लगा।
कहानी से नैतिक सीख:
जैसी संगत वैसी रंगत! सोचो अगर चील ने अपना परिवेश नहीं बदला होता तो आज वह और मुर्गियों की तरह कुछ ही कदम उड़ पता। जबकि उसका जन्म आसमान को नापने के लिए हुआ था। आप का जन्म दुनिया में नये – नये कीर्तमान स्थापित करने के लिए हुआ हैं। लेकिन, मनुष्य अपना परिवेश, रहन-सहन और आस-पास के वातावरण के अनुसार अपना जीवन यापन करता हैं। हमेशा दूरगामी सोच रखनी चाहिए जिसको प्राप्त करने के लिए अग्रसर भी होना चाहिए।