हम अक्सर सोचते हैं कि बच्चों को उनकी मनपसंद अच्छी अच्छी कहानियां सुनाएं जोकि हिंदी में हो। जिससे उनके अंदर भाषा की समझ हो सके। इसलिए, हम आपको आज प्रेरणा से भरपूर मजेदार कहानियां नैतिक शिक्षा के साथ सुनाने जा रहे हैं। जिससे आपके बच्चे के ज्ञान में वृद्धि हो सकेगी, जोकि निम्नलिखित प्रकार से हैं।
1. घमंडी हाथी – Ghamandi hathi:

किसी वन में एक सरोवर था। जिसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर पेड़-पौधे और फूल लगे हुए थे। जिसकी सुंदरता देखते बनती थी। उस सरोवर का पानी शुद्ध और निर्मल था। उसी वन में एक शरारती हाथी रहता था। जिससे पूरे वन के जानवर डरते थे। वह हाथी वन के अन्य जानवरों को बहुत परेशान करता था। वह कभी किसी का घर उजाड़ देता तो कभी रात को जोर-जोर से चिंघड़ने लगता। जिसके कारण कुछ जानवर उस जंगल को छोड़कर जा चुके थे।
एक बार वह हाथी अपनी मद-मस्त चाल में चलते हुए चला जा रहा था। उसे वन के किसी एक तरफ से हल्की-हल्की सुगंध आती हुई महसूस होती हैं। उसने उसी तरफ जाना शुरू कर दिया। हाथी ने वहाँ पहुँच कर साफ, स्वच्छ और निर्मल सरोवर को देखा। सरोवर को देखते ही उसने छलांग लगा दी। वह उस सरोवर में घुसकर नहाने लगा। इस तरह से वह पानी में खूब मस्ती कर रहा था।
अगले दिन हाथी फिर से उसी सरोवर के पास आया। उसे देख कर अन्य जानवर वहाँ से भाग गए। हाथी वन के सभी जानवरों को कायर और डरपोक कहता हैं। वह बिन कुछ सोचे-समझे अपनी सूंड से सरोवर के आसपास लगे पेड़-पौधों और फूलों को तहस-नहस कर देता हैं। फिर वह उसी सरोवर में जाकर नहाने लगता हैं।
देखते-ही-देखते वह पानी को अपनी सूंड से भर-भर कर बाहर फेंकने लगा। इस तरह से उसने सुबह से शाम तक पूरे सरोवर के पानी को खराब कर दिया। उसको अपनी ताकत पर इतना अभिमान हो जाता हैं कि वह सोचता हैं, चलो पानी के अंदर-अंदर देखते हैं कि यह सरोवर कहाँ तक हैं। इस तरह वह और अधिक शैतानी करते हुए सरोवर के अंदर जाने लगता है।
उसी सरोवर में एक मगरमच्छ रहता था। वह पानी से बाहर आराम कर रहा था। हाथी उसके पास पहुँचकर उसे मस्ती सूझती हैं। वह अपनी सूंड में पानी भरकर मगरमच्छ के ऊपर डालते हुए हँसने लगा। ऐसा हाथी कई बार करता हैं, मगरमच्छ को उसके ऊपर गुस्सा आ गया। वह तुरंत पानी के अंदर जाता है और उसकी सूंड को अपने मुँह में पकड़ लेता हैं। हाथी बार-बार छुड़ाने की कोशिश करता हैं। लेकिन वह छुड़ा नहीं पाता। इस तरह से मगरमच्छ हाथी को लहूलुहान कर देता हैं। जिससे उसका अभिमान चूर-चूर हो जाता हैं।
नैतिक सीख:
घमंड हमेशा विनाश की तरफ ले जाता हैं।
2. परोपकार की भावना – Paropkar ki bhavna:

शालू अपने घर से पाँच किलोमीटर दूर एक स्कूल में पढ़ती थी। उसके पिताजी एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। एक दिन वह स्कूल के गेट पर पहुँची तो देखा कि स्कूल के गेट के सामने एक लड़का जिसके हाथ में कुछ कॉपियाँ, पेन्सिले, रबड़े और कुछ खिलौने थे। उसके कपड़े फटे पुराने और पैर में एक टूटी चप्पल थी। जिसे वह रस्सी लगाकर बाँधा था।
उसे इस हालत में देख शालू का ह्रदय पसीज गया। वह उस लड़के के पास गई और अपने बैग से दस रुपये निकालकर, उससे कुछ पैंसिल और रबड़ खरीदी जोकि उसके पास पहले से भी थी। वह अपनी कक्षा में आकर उस लड़के के बारे में ही सोच रही थी। शालू सोचती हैं कि उस लड़के की स्थिति इतनी खराब क्यों हुई होगी? क्या उसके घर में कोई पैसा कमाने वाला इंसान नहीं हैं।
दोपहर के खाने के लिए छुट्टी होती हैं। शालू अपनी सहेलियों के साथ उस लड़के के पास दोबारा कुछ सामान लेने जाती हैं। शालू बातों-बातों में उस लड़के से पूछती हैं- “तुम यहाँ गेट पर ये समान क्यों बेचते हो? और तुम्हारे कपड़े इतने फटे-पुराने क्यों हैं? लड़का शालू से कहता हैं कि- “जब वह पाँचवी कक्षा में पढ़ता था तो मेरी माँ गुजर गई। उसके पिता खिलौने बेचने का काम करते हैं।”
लेकिन उनका भी स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, इसलिए मैं अपने पिता का हाथ बटाने के लिए यह सब काम करता हूँ। और आगे वह कहता हैं कि मेरी तीन बहने हैं, मैं कुछ पैसे कमा लूँ जिससे उनका स्कूल में दाखिला करवा सकूँ, फिर मैं अपने लिए नये कपड़े भी ले लूँगा। उसके हालात के बारें में जानकार शालू उसकी मदद करने के बारे में सोचती हैं। अगले दिन उसने अपनी मम्मी से स्कूल की बिल्डिंग फंड के नाम पर सौ रुपये माँगे। शालू ने बाजार से कपड़े और जूते खरीद कर उस लड़के को दे दिए।
एक दिन शालू की दोस्त हिना उसके घर पर आई। हिना से शालू की मम्मी ने बातों-बातों में कहा कि – “तुम्हारे स्कूल में जब देखो तब तरह-तरह की फीस बढ़ी रहती हैं। हिना कहती हैं- “आंटी जी हमारे स्कूल में अभी कोई बिल्डिंग फीस नहीं ली गई हैं।” तभी शालू ने उस पैसे के बारे में अपनी माँ से सारी बातों को बता दिया।
शालू और उसकी माँ की बातों को उसके पिता सुन लेते हैं। अपने सामने खड़े पिता को देखकर शालू कहती हैं- “पिताजी मैंने आप लोगों से झूठ बोलकर पैसे लिए हैं, मुझे माँफ कर दो। आप मुझे अगले महीने का जेबखर्च मत देना। उसके पिता ने उसे अपने गले से लगा लिया। और उसे कहते हैं- “शालू बेटा आपने कोई गुनाह नहीं किया हैं।” आपने उस लड़के के ऊपर दया दिखाई हैं। आपका जेबखर्च नहीं कटेगा बल्कि और बढ़ेगा। इतना सुनते ही शालू खुशी से उछल पड़ी।
नैतिक सीख:
हमारे अंदर दया की भावना होनी चाहिए।
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3. दोस्ती से सबक – Dosti se sabak:

रमेश और मोहन दोनों बहुत जिगरी दोस्त थे। वे हमेशा एक दूसरे के साथ स्कूल आते-जाते और हमेशा खुश रहते थे। लेकिन, रमेश अक्सर शरारते करने की योजना बनाता रहता था। जबकि, मोहन फालतू की बातों पर अपना ध्यान न देकर अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान देता था। फिर भी दोनों में अच्छी दोस्ती थी।
एक बार स्कूल में दोनों अपनी-अपनी सीट पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे। कुछ समय के लिए अध्यापिका कक्षा से बाहर चली गई। बच्चे आपस में बातें करने लगे। रमेश सोचता हैं, चलो कक्षा में कुछ ऐसा किया जाए जिससे सभी बच्चों को मजा आए। उसको शरारत सूझने लगी। उसने इधर-उधर देखा और अपने पास खड़े दोस्त मोहन को तेजी से धक्का दे दिया। उसका दोस्त जाकर खिड़की के शीशे से टकरा गया। जिसकी वजह से शीशा टूटकर नीचे गिर गया।
खिड़की का शीशा टूटा देख सभी बच्चे डर गए और जाकर अपनी-अपनी सीट पर बैठ गए। इतने में अध्यापिका ने कक्षा में प्रवेश किया। बच्चों को शांत देख समझ गई कि कुछ तो कक्षा में हुआ हैं। अध्यापिका ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई। इतने में अध्यापिका की नजर टूटे हुए शीशे पर पड़ी और वह क्रोधित हो जाती हैं।
अध्यापिका ने एक-एक कर के सभी बच्चों से पूछना शुरू किया। जब रमेश की बारी आई तो उसने साफ तौर पर मना कर दिया। लेकिन वहीं बैठे मोहन ने शीशा तोड़ने का इल्जाम अपने ऊपर ले लिया। अध्यापिका ने मोहन को जोर-जोर से डांट लगाई। शाम को जब स्कूल की छुट्टी हुई। रमेश मोहन से अपने द्वारा की हुए गलती के लिए क्षमा माँगता हैं। और उससे वादा करता हैं कि अब वह कभी शैतानी नहीं करेगा, मोहन ने उसे माँफ कर दिया।
नैतिक सीख:
छोटी-छोटी गलतियाँ कभी भारी पड़ सकती हैं।
4. बेईमानी का फल – Beimani ka fal:

किसी गाँव में बुद्धिराम नाम का एक किसान रहता था। उसके पास अधिक जमीन थी। बुद्धिराम के दो बेटे थे बड़े बेटे का नाम रामू और छोटे का नाम श्यामू था। रामू जितना होशियार था, उतना ही कामचोर भी था। धीरे-धीरे समय बीतता गया एक दिन बुद्धिराम की मृत्यु हो गई। रामू की वजह से कुछ दिन बाद किसान के दोनों बेटे अपने पिता के द्वारा बनाई गई सभी संपत्ति के दो हिस्से करने लगे।
दोनों ने लोगों को बुलवाया और सारी संपत्ति को आधे-आधे हिस्से में बाँट दिया। लेकिन किसान के पास एक भैस थी जिसके बंटवारे में दिक्कत आ रही थी। रामू बहुत चालाक था वह सभी से बोला भैस के आगे का हिस्सा मैं अपने भाई श्यामू को दे देता हूँ। पीछे का मैं ले लेता हूँ। श्यामू कुछ समझ नहीं पाया और उसने हाँ कर दिया।
अब श्यामू भैस को चारा खिलाता और रामू भैंस से दूध निकालता था। अगले दिन श्यामू ने कहा यह गलत हैं। उसने फिर से पंचायत जुटाई। सभी ने दोनों को समझाया कि दोनों मिलकर भैंस को चारा खिलाओ और जो भी दूध निकलेगा दोनों आपस में बराबर-बराबर हिस्से में बाँट लेना। इस तरह दोनों इस बात पर सहमत हो गए और समस्या का समाधान मिल गया।
नैतिक शिक्षा:
जरूरत से ज्यादा चतुराई नहीं दिखानी चाहिए।
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5. ऐहसान का बदला चुकाया – Aihsan ka badla chukaya:

मीनू स्कूल से अपने घर जा रही थी। उसे रास्ते में एक कुत्ते का बच्चा मिला। जिसके पैर से खून बह रहा था। उसे देख मीनू का ह्रदय पसीज गया। मीनू उस छोटे कुत्ते के बच्चे को अपने साथ ले गई। उसका इलाज और मरहम पट्टी करवाने के बाद वह कुछ दिनों में ठीक हो गया। एक दिन एक व्यक्ति उस मीनू के घर आया और कहने लगा कि- “आपके घर में जो कुत्ता हैं वह मेरा हैं, मुझे वपास दे दो।”
मीनू उस दिन घर पर नहीं थी। उसके माता-पिता ने कुत्ते को उस व्यक्ति को दे दिया। लेकिन कुत्ता उसके साथ जाने को तैयार नहीं होता हैं। किसी तरह से वह व्यक्ति उस कुत्ते को अपने साथ ले गया। जब मीनू घर आई तो देखती हैं उसका कुत्ता नहीं हैं। वह अपने माता-पिता से कुत्ते के बारे में पूंछा। मीनू अपने माता-पिता की बातों को सुनकर बहुत दुखी हुई।
एक दिन मीनू स्कूल से वापस घर आ रही थी। सून-सान रास्ते में एक व्यक्ति उसकी सइकिल छीनने लगा। लड़की तेज-तेज से चिल्ला रही थी। लेकिन उसकी मदद को कोई नहीं आ रहा था। अचानक वही कुत्ता वहाँ आ पहुँचा और उस व्यक्ति के ऊपर उसने हमला कर दिया। उस व्यक्ति को काट-काट कर लहूलुहान कर देता हैं। जिसके कारण वह व्यक्ति वहाँ से भाग गया। इस तरह कुत्ता अपने ऊपर किए हुए लड़की के ऐहसान को चुका देता हैं।
नैतिक सीख:
मुश्किल वक्त में काम आए व्यक्ति को कभी नहीं भूलना चाहिए।