जब कहानियाँ और लघु कथाओं की बात हो तो अकबर और बीरबल की कहानियों को जरूर पढ़ा जाता हैं। आज हम इस लेख में बीरबल की चतुराईयों से भरी पाँच मजेदार कहानियाँ सुनने जा रहे हैं जोकि निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. चतुर बीरबल की स्वर्ग यात्रा – Chatur birbal ki svarg yatra:

कुछ समय पहले की बात हैं अकबर का बीरबल के प्रति अथाह लगाव देख, उसके कुछ दरबारियों को जलन होने लगती हैं। जिसके कारण अन्य दरबारी बीरबल को मारने की साजिश रचने लगते हैं। वे बादशाह अकबर के नाई को अपने साथ मिलाकर एक योजना बनाते हैं। अगली सुबह योजना के तहत नाई बादशाह अकबर के पास उनकी दाढ़ी और बाल काटने के लिए आता हैं।
नाई जब बादशाह अकबर के बाल काट रहा होता हैं तो वह कहता हैं- “महाराज आपके पुरखों को स्वर्ग गए काफी दिन हो गए, आपको बीरबल जैसे चतुर मंत्री से एक बार उनका हाल-चाल पता करवाना चाहिए। राजा को नाई की बात अच्छी लगी। नाई बीरबल को स्वर्ग भेजने का उपाय भी बादशाह अकबर को बता देता हैं।
राजा ने अपने मंत्रियों के साथ तत्काल एक बैठक का आयोजन किया। वह अपने फैसले सुनाते हुए कहता हैं कि- “कल एक चिता पर बीरबल को बैठा कर उसमें आग लगा दी जाए, उसके धुएँ के साथ बीरबल हमारे पूर्वजों के पास पहुँच जाएगा।” बादशाह ने बीरबल को बोला हमारी आज्ञा के अनुसार कल तुम स्वर्ग जाने की तैयारी कर लो। बीरबल राजा की बात सुनकर बहुत अचंभित होता हैं। वह समझ नहीं पा रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा हैं।
लेकिन बीरबल भी कम चतुर नहीं था, उसने रातों-रात चिता के नीचे से लेकर अपने कमरे तक एक सुरंग बनवा ली। जिसके रास्ते वह आसानी से अपने कमरे में पहुँच सकता था। अगली सुबह ठीक समय के अनुसार बीरबल बहुत मायूस होकर राजा के सामने आता हैं। पूरी विधि-विधान के साथ बीरबल को चिता पर बैठाया जाता हैं। उसे लकड़ियों से ढक दिया जाता हैं। जब चिता में आग लगाई जाती हैं, बीरबल तुरंत सुरंग के रास्ते अपने कमरे में निकल जाता हैं।
वहाँ खड़े अन्य दरबारी बहुत खुश हो जाते हैं। उन्हें अब लगने लगता हैं कि राजा अब कोई भी सलाह हम लोगों से ही लेगा। धीरे-धीरे कुछ दिन बीत गए। बीरबल ने अपना भेष बदलकर पूरे राज्य में यह पता लगा लिया कि उसको स्वर्ग भेजने की योजना किसकी थी। एक दिन वह अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ बहुत ही लाचार अवस्था में राजा के सामने पेश हुआ। उसने कहा, “महाराज स्वर्ग में आपके पुरखे बहुत आराम से हैं। लेकिन, उनके दाढ़ी बहुत बढ़ गई हैं, जिसके लिए नाई और उनकी देख-रेख करने के लिए कुछ मंत्रियों को भी बुलाया हैं।
बादशाह अकबर, बीरबल की बातों को स्वीकारता हैं और झट से अपने अन्य दरबारियों को आदेश देता हैं। नाई और कुछ दरबारियों को स्वर्ग भेजने की तैयारी की जाए। दरबारियों तथा नाई को सदमा पहुँच चुका होता हैं। लेकिन, वह चाह के भी मना नहीं कर सकते थे। उनके पास राजा की बातों को मानने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। इस प्रकार से बादशाह अकबर के दरबार में बैठे लोगों को विश्वास हो गया कि चतुर बीरबल को मूर्ख बनाना आसान नहीं हैं।
2. सोने का सिक्का और व्यापारी – Sone ka sikka aur vyapari:

इंसाफ दिलाने की बात हो तो बीरबल का नाम सबसे पहले आता हैं। एक बार बीरबल के पास एक व्यापारी आया उसने कहा- “श्रीमान जी! एक साल पहले मैंने अपने गाँव के सेठ धनीराम को एक हजार रुपए रखने के लिए दिए थे। मैंने कहा था कि जब मैं अपनी बेटी की शादी करूंगा तब मुझे यह पैसे वापस कर देना। लेकिन, अब सेठ धनीराम मुझे पैसे देने से मना कर रहा हैं। कृपया मुझे इंसाफ दिलवाओ। बीरबल ने उसे कुछ दिन बाद आने के लिए कहा।
अगले दिन उसने सेठ धनीराम को बुलाकर पैसों के बारें में पूँछा, लेकिन सेठ धनीराम ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके पास क्या सबूत हैं, कि उसने मुझे पैसे दिए थे। उसकी बातों को सुनकर बीरबल ने उसे घर जाने के लिए कह दिया। एक दिन बीरबल ने सेठ धनी राम और व्यापारी को दरबार में बुलाया। दोनों को एक-एक बोरी आलू दिए। दोनों बोरियों में एक-एक सोने के सिक्के भी डाल दिए। और दोनों से कहा कि बाजार जाओ और इन आलुओं को बेचकर शाम तक आना।
दोनों बाजार में आलू की बोरी लेकर बेचने पहुँच गए, शाम तक दोनों ने पूरे आलू बेच दिए और पैसे देने बीरबल के पास आए। सबसे पहले सेठ धनी राम ने बीरबल को पैसे दिए। इसके बाद व्यापारी ने बीरबल को पैसे देते हुए उसे एक सोने का सिक्का भी दिया और कहता हैं कि यह सिक्का मुझे इस आलू की बोरी में मिला था। बीरबल ने सेठ धनीराम से भी पूछा कि – “आपको भी आलू की बोरी में कोई सिक्का मिला था?” सेठ धनीराम ने साफ शब्दों में माना कर दिया।
बीरबल ने उसकी चोरी को पकड़ने के लिए एक बाल्टी पानी मंगाता हैं और सेठ धनी राम को बोलता हैं कि तुम अपने दोनों हाथ इस जादुई पानी में डालो, अगर तुमने सिक्के को अपने हाथ में लिया होगा तो पानी का रंग लाल हो जाएगा, अगर नहीं लिया होंगा तो पानी जैसे का तैसा रहेगा। सेठ धनी राम अपने दोनों हाथों को जोड़कर बीरबल से माफी मांगने लगा और कहता हैं – मुझे माँफ कर दो, मैं सिक्के और व्यापारी के पैसे वापस करता हूँ। इस प्रकार से बीरबल की सूझ-बूझ से व्यापारी को उसका पैसा मिल गया। फिर एक बार अकबर के दरबार में न्याय और अपनी बुद्धिमत्त्वा के लिए बीरबल की वाह-वाही हुई।
3. बीरबल की खिचड़ी – Birbal ki khichadi:

एक बार कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, इस ठंड में अकबर और बीरबल अपने राज्य में रहने वाले लोगों का हाल-चाल लेने निकले थे। ठंड इतनी थी आँख और नाक से निकलने वाला पानी भी बर्फ के समान लग रहा था। कुछ दूर चलने के बाद अकबर ने बीरबल से कहा- इस ठंड में रास्तों में तथा लोगों के घर के बाहर कोई दिखाई नहीं दे रहा हैं। बीरबल ने कहा- “जहाँपनाह, परिस्थितियाँ एक ऐसी चीज हैं जो इससे भी अधिक ठंड में व्यक्ति को काम करने के लिए मजबूर कर देती हैं।”
अकबर ने बीरबल से कहा- “मैं कुछ समझ नहीं और आसान शब्दों में बताओ तुम कहना क्या चाहते हो” बीरबल ने कहा महाराज हम आपको प्रत्यक्ष रूप से दिखाएंगे। अगले दिन बीरबल अपने राज्य में डंका पिटवा दिया कि महल के बाहर बने तालाब में आज पूरी रात जो भी व्यक्ति खड़ा रहेगा उसे सौ सोने के सिक्के दिए जाएंगे।
इस खबर को सुनकर राज्य के लोग आपस में चर्चा करने लगे कि जो भी ऐसा करेगा उसकी ठंड लगने के कारण मृत्यु होना तय हैं। उसी राज्य में एक धोबी रहता था। जोकि, अक्सर उसी तलाबा से कपड़े धुलता था। लेकिन उसकी परिस्थितियाँ बहुत खराब थी, ठीक से उसके घर में सभी को खाने-पीने को नहीं हो पता था। कभी-कभी तो लोग भूखे पेट भी सो जाते थे। उसने सोचा की चलो भूखे पेट मरने से अच्छा हैं, ठंड से मर जाएंगे।
धोबी शाम को राजा के दरबार में पहुंचता हैं। दरबार में इस करतब को देखने के लिए बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गये। वह बीरबल से कहता हैं- “श्रीमान, मैं इस ठंड में पूरी रात तालाब में खड़ा रह सकता हूँ।” धोबी बीरबल के बताए जगह पर जाकर तालाब में खड़ा हो गया। और सभी लोग अपने-अपने घरों को चले गए। अलगी सुबह जब वह तालाब से बहार निकलकर आया तो अकबर ने धोबी से पूँछा- “तुम इतनी कड़ाके की ठंड में तलाब में कैसे खड़े रहे, इसका राज क्या हैं?
धोबी ने बादशाह अकबर से कहा- “महाराज जब मैं तालाब में खड़ा था तो मैं जिधर देखता था उसी तरह मेरे शरीर में क्रिया होने लगती थी।” जब मैं पानी में देखता था तो मुझे और अधिक ठंड लगने लगती थी। जब में बाहर जंगल की तरफ देखता था तो मुझे ऐसा प्रतीत होता था कि मेरे ऊपर हंवाओं के झोंके आ रहे हैं। तभी मुझे आपके महल से एक मसाल की रोशनी आती दिखाई दिया, जब मैं उस मसाल की रोशनी को देखता था तो मेरे शरीर के अंदर गर्मी जैसा महसूस होने लगा।
इसीलिए, मैंने पूरी रात उसी मसाल की रोशनी को देखता रहा जिससे मुझे ठंड का ऐहसास नहीं हुआ। धोबी की बातों को सुनकर राजा बहुत क्रोधित हो उठा उसने धोबी को बोला तुम हमारे महल से निकलने वाली मसाल की रोशनी के गर्मी के कारण खड़े हो पाए हो। मैं तुम्हें कोई ईनाम नहीं दूंगा। बादशाह अकबर ने अपने दरबारियों से कहा इस धोबी को कारावाश में डाल दो। वही बैठे बीरबल को धोबी के प्रति राजा के इस वार्ताव से नफरत हो गई, वह दरबार से निकलकर अपने घर को चला गया।
अगले दिन बीरबल दरबार में नहीं आए, राजा ने बीरबल को बुलवाने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। लेकिन, बीरबल ने यह कहते हुए आने से मना कर दिया कि वह अभी खिचड़ी पका रहा हैं। धीरे-धीरे दोपहर हो गई, लेकिन बीरबल अभी तक महल नहीं आया। राजा ने दुबारा अपने सैनिकों को बीरबल के पास भेजा, बीरबल ने फिर से वही बात कह कर सैनिकों को वापस जाने के लिए कहा।
बीरबल का संदेश पाकर बादशाह अकबर अचंभित हो उठा कि बीरबल सुबह से कौन सी खिचड़ी बना रहा हैं, जो अभी तक पकी नहीं। उसने सोचा मैं खुद जाकर देखता हूँ। बादशाह अकबर, बीरबल के घर पहुँचकर देखता हैं कि बीरबल तीन डंडे खड़े करके उसके सिरे के बीच हाँडी में खिचड़ी डालकर नीचे आग जलाकर खिचड़ी पका रहा होता हैं।
बादशाह अकबर उससे कहता हैं- “बीरबल तुम्हारा दिमाग ठीक तो हैं न, तुम इतनी ऊंचे स्थान पर हाँडी को बांधकर खिचड़ी कैसे पका सकते हो? हाँडी और आग के बीच का अंतर तो देखो कितना हैं? बीरबल ने बादशाह अकबर को जबाब देते हुए कहा- “जहाँपनाह, अगर धोबी महल के मसाल से निकलने वाली गर्मी से पूरी रात पानी में खड़ा रह सकता हैं तो दूर से खचड़ी क्यों नहीं पक सकती हैं।
अकबर को बात समझ में आ जाती हैं। अगले दिन धोबी को कारावाश से बाहर निकल देता हैं। उसे सौ सोने के सिक्के भी देता हैं। इस प्रकार से बीरबल के कारण धोबी को न्याय मिल जाता हैं।
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4. चोर के दाढ़ी में तिनका – Chor ke dadhi men tinka:

एक बार की बात हैं बादशाह अकबर की अंगूठी महल में कही गिर गई। वह अंगूठी बहुत खास थी, जोकि उनकी पत्नी ने गिफ्ट की थी। वह अंगूठी राजा को बहुत प्रिय थी। अधिक खोजबिन किया गया, लेकिन अंगूठी नहीं मिली। अब अंगूठी खोजने का काम बीरबल को सौंप गया। बीरबल ने अकबर से पूँछा आप की अंगूठी कब और कैसे खोई थी। अकबर ने जबाब दिया कल शाम दरबार खत्म होने के बाद अपने विश्राम कक्ष में जाते समय कही गिर गई।
बीरबल को समझ में आ गया की अंगूठी महल के किसी काम करने वाले व्यक्ति के पास ही होगी। बीरबल ने महल के सभी मजदूरों को बुलाकर कहा- “महाराज अकबर की अंगूठी कल शाम को खो गई। जिस किसी को मिला हो वह वापस कर दे, नहीं तो मुझे इस महल के दरवाजे से पूछना पड़ेगा। लेकिन किसी ने हाँ नहीं भरी। बीरबल दरवाजे के पास जाकर फुस-फुसाते हुए कहा। वहाँ से आकर सबके सामने कहने लगा।
मेरे पास चोर का पता लगाने का एक अनोखा तरीका हैं, क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका हैं। वहाँ पर आए सभी मजदूर में से एक मजदूर अपने दाढ़ी में हाँथ लगाकर तिनके को खोजने की कोशिश करने लगा। बीरबल की नजर उसके ऊपर पड़ती हैं और बीरबल अपने सैनिकों से कहता हैं। इस इंसान को गिरफ्तार कर लो। इस प्रकार से बीरबल को चतुराई और सूझ-बुझ की वजह से राजा की अंगूठी मिल गई।
5. बैल का दूध – Bail ka doodh:

एक बार की बात हैं। बादशाह अकबर की पत्नी बीमार पड़ गई। इलाज के लिए हकीम को बुलाया गया। महल पहुंचकर हकीम ने अकबर की बेगम के बीमारी का पता लगाया और कुछ दवाएं भी दी। लेकिन, वह हकीम बीरबल से बहुत चिढ़ता था। जिसे परेशान करने के लिए एक और दवा देते हुए बादशाह अकबर से कहता हैं कि इस दवा को बैल के दूध के साथ लेने पर ही मर्ज ठीक होगा।
बादशाह अकबर बीरबल को बैल का दूध लाने के लिए कहता हैं। बीरबल बादशाह को समझाने की कोशिश करता हैं। लेकिन बादशाह अकबर उसकी एक भी बाते नहीं मानता और उससे कहता हैं- “यह मेरा हुक्म हैं, तुम कही से भी बैल का दूध खोजकर कर लाओ। बीरबल की बुद्धिमानी और चतुराई से हर कोई वाकिफ था। लेकिन इस बार बीरबल को कुछ सुझाई नहीं दे रहा था कि वह राजा को कैसे समझाए।
बीरबल उदास होकर अपने घर पहुंचता हैं। उसकी पत्नी उसके उदासी का कारण जानने की कोशिश करती हैं। लेकिन, बीरबल कुछ भी बताने से मना कर देता हैं। बहुत आग्रह करने के बाद बीरबल अकबर के दरबार में हुए घटना के बारें में बताता हैं। उसकी पत्नी कहती हैं बस इतनी बात हैं “मैं आपको एक उपाय बता रही हूँ।” आप घर के किसी कमरे में जाकर सो जाओ।” बीरबल की पत्नी एक ढोल लेकर राजा के महल के सामने पीटने लगी, जिससे राजा अकबर की नीद खराब हो गई। उसने अपने सैनिकों को भेजकर उस औरत को पकड़ कर लाने के लिए बोला।
जब सैनिक उस औरत को पकड़कर दरबार में लाते हैं तो बादशाह अकबर उससे पूछते हैं की तुम इतनी तेज ढोल क्यों बजा रही थी। तुमने मेरी नीद खराब कर दी तुम्हें सजा मिलेगी। औरत ने कहा- “मेरे पति को लड़का पैदा हुआ हैं, जिसकी खुशी में मैं ढोल बजा रही हूँ।” उसकी बातों को सुनकर बादशाह अकबर ठहाके लगाकर जोर-जोर से हँसने लगता हैं और उस औरत से कहता हैं- “भला कोई आदमी कैसे किसी बच्चे को जन्म दे सकता हैं”
राजा अकबर की बातों को सुनते ही वह औरत कहती हैं- “महाराज जब बैल दूध दे सकता हैं तो आदमी भी बच्चे को जन्म दे सकता हैं।” बादशाह अकबर समझ गया। उसने अपने दरबार में हकीम को बुलाकर उसके द्वारा किए गए वार्ताव के लिए सजा सुनाता हैं।