5 छोटी कहानी, बड़ी प्रेरणा: जो आपके दिल को छू लेगी

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1. सुंदरता का घमंड – Boast of beauty:

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कुछ समय पहले की बात हैं। किसी नदी के किनारे एक मोर रहता था। जोकि, बहुत सुंदर था। उसे अपनी सुंदरता पर बहुत नाज़ था। जिसके कारण प्रतिदिन सुबह होते ही वह नदी के किनारे पानी में अपना प्रतिबिंब देखता था। वह अपने आपको बहुत सुंदर होने पर गर्व महसूस करता था। वह सोचता था कि “इस दुनिया में मुझसे ज्यादा कोई सुंदर नहीं हैं, मेरे पंख कितने रंग-बिरंगे तथा सुंदर हैं”।

एक दिन जब वह नदी के किनारे अपने पंख फैलाकर पानी में अपने आपको निहार रहा था। तभी उसके पास एक बगुला आया, उसे देख मोर घमंड से भरे हुए स्वर में कहने लगा- “काश! मेरे जैसे सुंदर-सुंदर पंख तुम्हारे भी होते तो तुम भी इस जंगल के सुंदर पक्षी होते। खैर कोई बात नहीं, तुम अपने इन सफेद और काले पंखों में अपना जीवन बिताओ।

मोर की बातों को सुन बगुले ने कहा- “मुझे अच्छे से पता हैं कि तुम्हारे पंख मुझसे अधिक सुंदर जरूर हैं। लेकिन, तुम इस पंखों से आकाश में मेरे जैसी ऊँची उड़ान नहीं भर सकते” अगर किसी दिन कोई शिकारी तुम्हारे पीछे पड़ गया तो वह बहुत जल्द तुम्हें पकड़ सकता हैं। जबकि, उसे मुझे पकड़ने के लिए कठिन प्रयास करना पड़ेगा।

यह कहते हुए उसने अपने पंखों को फड़फड़ाया और आकाश में उड़ गया। उसकी बातों को सुन मोर अपने आपको लज्जित महसूस करने लगा। उस दिन से उसने अपने पंखों पर नाज़ करना छोड़ दिया।

नैतिक शिक्षा:

सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए।

2. भाग्य से ज्यादा, समय से पहले कुछ नहीं मिलता – Nothing beats luck ahead of time:

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किसी गाँव में रामू और उसकी पत्नी एक झोपड़ी में रहते थे। रामू बहुत गरीब था। किसी तरह से उनका जीवन चलता था। अब वे दोनों वृद्ध हो चुके थे। इसलिए दोनों ने मन बनाया कि चलो तीर्थ यात्रा पर चलते हैं। वे बहुत ही दुखी मन से एक गाँव से दूसरे गाँव होते हुए चलते जा रहे थे। रास्ते में उन्हे भूख प्यास भी लग रही थी। लेकिन वे भगवान का सुमिरण करते हुए आगे चलते जा रहे थे।

वे दोनों कुछ दूर और आगे चलते हैं तो उन्हें एक कुआँ दिखाई देता हैं। कुएं पर एक रस्सी बधी बाल्टी रखी होती हैं। रामू कुए के पास गया और बाल्टी से पानी निकाला, जिससे दोनों ने अपनी प्यास बुझा ली। अब दोनों ने फिर से अपनी यात्रा शुरू कर दी। धीरे-धीरे दोनों और आगे बढ़ते हैं। उन्हें आगे एक आम का पेड़ मिलता हैं जिसके नीचे बहुत सारे पके हुए आम गिरे होते हैं। उन आमों को खाकर रामू और उसकी पत्नी अपनी भूख मिटा लेते हैं और बहुत खुश होकर भगवान का शुक्रिया करते हैं।

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इस तरह से वे दोनों आपस में बातचीत करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। कुछ दूर और आगे जाकर रामू अपनी पत्नी से कहता हैं- “चलो इस पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर थोड़ा आराम कर लिया जाए”। दोनों उस पेड़ के नीचे बैठकर बातें कर रहे होते हैं। रामू अपनी पत्नी को समझाते हुए कहता हैं- हमें विश्वास हैं कि जब हम अपनी तीर्थ यात्रा से वापस लौटेंगे तो हमारी स्थिति बदल जाएगी। हमारे भी घर में लक्ष्मी का वास होगा।

इस तरह से रामू की सोच को देख भगवान प्रसन्न होकर रामू के रास्ते में सोने के सिक्के से भरा एक थैला गिरा देते हैं, जिससे रामू की दयनीय स्थिति में बदलाव आ सके। अब रामू अपनी पत्नी से कहता हैं कि “भगवान ने हमें जो भी अंग दिए हैं। हम उसका उपयोग कर रहे हैं। अगर भगवान ने हमें आँखें नहीं दी होती तो क्या हम देख पाते”?

चलो हम भगवान का शुक्रिया अदा करते है और कुछ दूर अपनी आंखे बंद करके अपनी यात्रा को पूरी करते हैं। इस तरह से दोनों अपनी आँखों को बंद करके आगे बढ़ने लगते है। फिर वें दोनों अपनी आँखों को बंद करके चलते रहे और रास्ते में गिरे सोने के सिक्के से भरे थैले से आगे निकल गये। उन दोनों को देख भगवान भी बोले नसीब से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता।

नैतिक सीख:

भाग्य से ज्यादा और समय से पहले इंसान को कुछ नहीं मिलता।

3. कर भला सो हो भला – Do good so be good:

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एक बार की बात हैं राजा मानसिंह ने अपने राज्य के लोगों की परीक्षा लेने के लिए सोचा। राजा जानना चाहता था कि उसके राज्य के लोग उसके बारें में कैसी-कैसी धारणा रखते हैं। उसी रात राजा ने अपने राज्य की मुख्य सड़क पर एक बड़ा सा पत्थर तथा उसके नीचे कुछे सोने के सिक्के रखवा दिए। उसी सड़क के किनारे एक पेड़ के पीछे राजा भी छिप गया और उस रास्ते से आने-जाने वाले लोगों की प्रतिक्रिया सुनने लगा।

जो भी राही उस रास्ते से आता कुछ न कुछ जरूर कह कर जाता। लोग उस पत्थर के बगल से जा रहे थे, लेकिन कोई भी उस पत्थर को हटाने के बारे में नहीं सोच रहा था। उस राज्य के कई व्यक्ति तो यह भी कह रहे थे कि इस राज्य का राजा कितना बेपरवाह हैं। उसके राज्य के लोग परेशान हो रहे हैं। वह राजा अपने महल में आराम से सोया पड़ा होगा। इस तरह से अधिकतर लोग बीच रास्ते में पड़े पत्थर के लिए राजा को दोषी ठहरा रहे थे।

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कुछ समय बाद उसी रास्ते से एक कुम्हार अपने ठेले पर कुछ मिट्टी के बर्तन लादकर ला रहा था। उसने उस बड़े पत्थर को देखकर, अपने ठेले को बगल में खड़ा करके पत्थर को धक्का दे कर किनारे करने लगा। पत्थर हटाने के बाद उसे वहाँ पर कुछ सोने के सिक्के भी मिले। कुम्हार सोचने लगा अब इन सोने के सिक्कों का क्या करें। वह अपने राज्य के राजा के पास जाता हैं और सारी घटना को सच-सच बता देता हैं। राजा उसे सभी सोने के सिक्के अपने पास रखने के लिए कहता हैं। इस तरह से राजा को उसके राज्य के लोगों की धारणा भी पता चल जाती हैं।

नैतिक सीख:

कर भला सो हो भला! हमें एक दूसरे की नकल नहीं करनी चाहिए, हमें अच्छाई और बुराई के आधार पर काम करना चाहिए।

4. किसान की चतुराई – Farmer’s cleverness:

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एक बार एक किसान अपने खेतों की जुताई कर रहा था। अचानक कही एक एक भालू आया और किसान के ऊपर हमला करने ही वाला था। किसान ने कहा- “मुझे क्यों मारते हो भालू भाई, फसल आने दो जो कहोगे वही खिलाऊँगा” भालू ने होशियारी दिखाते हुए कहा- “जमीन के ऊपर की फसल मेरी, नीचे की तुम्हारी” किसान भालू की बातों को मान गया।

किसान ने अपने खेत में आलू लगवा दिए जब फसल आई तो किसान को मिले आलू, जबकि भालू को मिले पत्ते। भालू खीझ कर रह गया। भालू ने किसान से कहा इस बार जमीन के नीचे की फसल मेरी और ऊपर के फसल तुम्हारी। किसान उसकी बातों को मान गया। किसान ने अपने खेतों में धान लगवा दिए। फसल तैयार हुई तो किसान को मिले, चमचमाते चावल। जबकि, भालू को मिला सुखी जड़। भालू गुस्से से लाल पीला हो गया।

इस बार भालू किसान को मजा चखाना चाह रहा था। उसने किसान को बोला इस बार जमीन के नीचे और सबसे ऊपर की फसल मेरी होगी। बाकी के फसल तुम्हारी होगी। किसान भालू की बातों को मान गया। इस बार किसान ने अपने खेतों में गन्ना लगवाया जब फसल की कटाई हुई तो भालू को मिला जड़ और पत्ते। भालू का सिर चकरा गया वह जगल की तरफ तेजी भाग गया।

नैतिक सीख:

सोच समझकर लिया गया फैसला हमेशा कामयाबी की ओर ले जाता हैं। बल्कि, आवेश में आकर लिया गया फैसला गर्त की ओर ले जाता हैं।

5. मददगार बने – Be helpful:

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एक लड़की टोकरी में फल लेकर बाजार में बेचने जा रही थी। बाजार जाने के लिए उसे पार्क के रास्ते से होकर जाना पड़ता था। जहाँ पर हमेशा बच्चे खेलते रहते थे। जब वह पार्क के रास्ते से जा रही थी तो एक फुटबाल उसकी टोकरी में आ गिरा जिसके कारण उसकी टोकरी नीचे गिर गई और उसके सारे फल बिखर गए। कुछ फल तो नष्ट भी हो गए। लड़की बहुत दुखी हुई। वह अपनी टोकरी में एक-एक फल उठा कर रखने लगी। उसे देख कर उसके पास पार्क में खेल रहे सभी बच्चे आ गए।

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उन्ही बच्चों में एक रोहन नाम का बच्चा भी था। जोकि, उस लड़की के फल को एकट्ठा करवाने लगा। बाकी के बच्चों ने सोचा कि अगर यह लड़की हमारे घर जाकर हमारे माता-पिता से इस घटना के बारे में बता देगी तो हमें मार पड़ेगी। चलो भाग चलते हैं। रोहन ने अन्य सभी बच्चों को डांटा की आप लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उसने फल उठाने में लड़की की मदद की तथा उसे अपने घर ले गया। घर पहुंचकर रोहन ने अपनी माँ से कहा – “माँ हम पार्क में फुटबॉल खेल रहे थे और फुटबॉल इस लड़की की टोकरी में गिरने के कारण इसके फल बिखर गए और कुछ फल तो नष्ट भी हो गए।

कृपया आप इस लड़की के नुकसान की भरपाई कर दो। उसकी माँ ने बोला ठीक हैं, “मैं इस नुकसान की भरपाई कर दूँगी, लेकिन तुम्हारे दो महीने के जेब खर्च कट जाएंगे। रोहन ने अपनी माँ की बातों को स्वीकारते हुए हाँ बोल दिया।” लेकिन, लड़की ने उसकी माँ को बताया कि फुटबाल को रोहन ने नहीं बल्कि उसके दोस्तों ने मारा था। इसमें रोहन की कोई गलती नहीं हैं।

उसकी माँ ने लड़की की बातों को सुनकर लड़की के बारें में अधिक जानना चाहा। लड़की रोहन की माँ से बताते हुए कहती हैं कि मेरी माँ कई महीनों से बीमार रहती हैं। जिसकी दवाई कराने के लिए मैं फल बेचकर पैसे एकट्ठा करती हूँ। जिससे मैं अपनी माँ का इलाज करा सकूँ। रोहन की माँ ने लड़की से कहा “तुम अपनी माँ को कल हमारे यहाँ लेकर आना, रोहन के पापा डॉक्टर हैं हम उन्हे दिखाते हैं”

अगले दिन लड़की अपनी माँ को लेकर रोहन के घर आती हैं। रोहन के पापा ने लड़की की माँ का इलाज शुरू कर दिया। धीरे-धीरे लड़की की माँ ठीक हो जाती हैं। इस तरह से लड़की रोहन और उसकी माँ का बहुत आभार जताती हैं।

नैतिक सीख:

हमे दूसरों की मदद करनी चाहिए।

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