किसान और गौरैया की कहानी – The story of farmer and sparrow

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एक समय की बात हैं खीमपुर नामक गाँव में एक किसान रहता था, जिसका नाम रामलाल था जोकि बहुत मेहनती था। उसके पास कई खेत थे, जिसमें वह तरह-तरह की फसल उगाता था। रामलाल के पास खेत अधिक होने के कारण उसे खेतों में काम करने के लिए परिवार वालों तथा मजदूर का सहारा लेना पड़ता था। एक बार रामलाल ने अपने सभी खेतों में गेंहू की बुआई करवाई उस साल उसकी फसल बहुत अच्छी हुई थी, अब फसल पक चुकी थी जिसकी कटाई कराने के लिए वह सोच रहा था।

उसी खेत में एक गौरैया और उसके बच्चे रहते थे। एक दिन गौरैया अपने बच्चों के लिए खाने की तलाश में बाहर गई हुई थी। तभी किसान अपनी फसल देखने खेत में आया और बोला गेंहू की फसल पक चुकी हैं, कल हम अपने परिवार के लोगों को लेकर आएंगे फसल की कटाई शुरू कर देंगे। किसान की बात गौरैया के बच्चे सुनकर घबरा गये।

कुछ समय बाद गौरैया अपने बच्चों के लिए खाना लेकर आई, तो बच्चे अपनी माँ से बोलने लगे कि आज किसान आया था और बोल रहा था कि कल वह परिवार वालों को लेकर आएगा और सारी फसल को कटवा देगा। गौरैया की माँ ने बोला घबराओ मत कल कोई फसल काटने नहीं आएगा। अगली सुबह ठीक वैसा ही हुआ फसल की कटाई करने के लिए कोई नहीं आया। उस दिन से दुबारा गौरैया और उसके बच्चे खुशी-खुशी रहने लगे।

एक सप्ताह बाद किसान फिर से अपनी फसल देखने के लिए खेत में आया और कहने लगा कि परिवार वाले खेत में काम करने को राजी नहीं हैं। अब हमें मजदूर का ही सहारा लेना पड़ेगा। कल हम मजदूर के साथ आएंगे और फसल की कटाई करना शुरू करेंगे। खेत में लगे घोंसले से गौरैया के बच्चे किसान की बातों को चुपचाप सुन रहे थे। शाम को जब गौरैया की माँ वापस अपने घोंसले में आई, तो उसके बच्चे किसान की बातें बताते हुए बोले आज किसान फिर आया था और बोल रहा था कि कल वह मजदूरों को लेकर आएगा और फसल को कटवाएगा।

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गौरैया अपने बच्चों से बोली अभी घबराने वाली बात नहीं हैं कल कोई नहीं आएगा तुम लोग चिंता मत करो। अगली सुबह भी ठीक वैसा ही हुआ किसान का खेत काटने कोई नहीं आया। कुछ दिन बीतने के बाद किसान अपने खेत को देखने दुबारा आया और खेत के किनारे बैठ के बोल रहा था अब तो हमें किसी का सहारा नहीं लेना चाहिए। कल मैं खुद फसल की कटाई करने के लिए आऊँगा।

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उस दिन जब गौरैया वापस अपने घोंसले में आई उसने देखा कि उसके बच्चे डरे हुए थे। गौरैया ने जब कारण जानना चाहा तो उसके बच्चों ने जबाब दिया। माँ आज किसान फिर से खेत में आया था और बोला कि परिवार तथा मजदूर के लोग खेत में आने से माना कर रहे हैं, अब मुझे ही फसल को काटना पड़ेगा। कल से किसान खुद फसल काटने आने वाला हैं। दूसरे बच्चे ने बोला अब हमारा क्या होगा माँ, हम कहाँ रहेंगे।

गौरैया ने अपने बच्चों से बोला कि अब हमें यहाँ से निकलना ही ठीक रहेगा। लेकिन, गौरैया के बच्चों ने दुबारा से पूछा कि किसान तो कई बार से ऐसा बोल के जा चुका हैं, इस बार भी नहीं आएगा। अब आप इतना परेशान क्यों हो रही हो, गौरैया बोली किसान अपने फसल को काटने के लिए अभी तक दूसरे के ऊपर निर्भर था। इसलिए, उसकी फसल अभी तक नहीं कटी लेकिन अब वह खुद यह काम करना चाहता हैं तो निश्चित ही कल किसान फसल काटने आएगा।

इसके बाद गौरैया ने अपने बच्चों को एक-एक करके दूसरे स्थान पर पहुँचा दिया। अगले दिन सुबह गौरैया किसान के उस खेत के पास आई और देखा कि किसान फसल काट रहा था। गौरैया ने अपने द्वारा लिए हुए फैसले से बहुत खुश हुई और सोचने लगी आज अगर समय से पहले हम यहाँ से नहीं निकले होते तो हम और हमारे बच्चे मारे जाते।

कहानी से नैतिक सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि हमें कभी भी कोई काम दूसरों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। जबकि, एक सीख यह भी मिलती हैं कि किसान को परिवार और मजदूरों के भरोसे नहीं रहना चाहिए था , उसे फसल की कटाई स्वयं करनी चाहिए थी। इसलिए, आलस नहीं करना चाहिए और थोड़ा-थोड़ा करके कार्य को करते रहना चाहिए। गौरैया से हमें सीख मिलती हैं कि कोई भी काम समय से पहले कर लेना चाहिए।

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