धीरु नाम का एक पहलवान था। उसके जैसी ताकत आस-पास के कई गाँवों में किसी के पास नहीं थी। धीरू का एक ही लक्ष्य था कि वह अपने शरीर को बलवान कैसे बनाए रखें? उसने पहलवानी में कई मेडल जीते थे। जिसके कारण उसका नाम बहुत प्रसिद्ध हो चुका था। लेकिन, वह अपनी ताकत का उपयोग कभी लोगों की भलाई के लिए नहीं करता था। उसे अपनी ताकत पर इतना घमंड था कि अक्सर वह अपने आस-पास की दुकानों से खाने-पीने का सामान ले लेता था और उसके बदले में वह पैसे भी नहीं देता था।
लोग डर के कारण उससे अपने सामान के पैसे भी नहीं मांगते थे। इस तरह से धीरे-धीरे पूरे गाँव में उसकी दादागिरी चलने लगी। अब बाजार के लोग उससे परेशान रहने लगे, डर के कारण लोग उसे देख अपनी दुकान बंद कर देते थे। लेकिन, उसे यह कभी ऐहसास नहीं होता था कि घमंड का अंत बहुत बुरा होता हैं। क्योंकी एक छोटी चींटी भी विशालकाय हाथी को परास्त कर सकती हैं।
इस तरह से समय धीरे-धीरे बीतता चला गया। लेकिन उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं हुआ। एक दिन धीरू कही से आ रहा था। उसने देखा कि नाले के किनारे एक व्यक्ति जलेबी बना रहा हैं। धीरू उस व्यक्ति के पास जाकर भरपेट जलेबी खा लेता हैं और बिना पैसा दिए वह वापस अपने घर आ जाता हैं। वह व्यक्ति खुले में जलेबी बना रहा था जिसके कारण उसकी जलेबी पर मच्छर और मक्खियाँ भिनभिना रही थी। जोकि जलेबी को दूषित कर रही थी।
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अधिक जलेबी खाने की वजह से धीरू को शाम तक भूख नहीं लग रही थी। लेकिन, उसने सोचा रात्री का भोजन न करने से कही उसकी ताकत में कमी न हो जाए। इसलिए, उसने रात में खाना अधिक खा लिया। अगले दिन सुबह वह अपनी दिनचर्या के अनुसार उठ न सका। कुछ देर बाद उसके पास उसके पिता जी आए जो उसे उठने को कहते है। धीरू अपने पिता से कहता हैं कि- “उसके सिर में अधिक दर्द हो रहा हैं, जिसके कारण वह उठने में असमर्थ हैं।” उसकी माँ उसे नाश्ते में कुछ खाने के लिए देती हैं। लेकिन वह कुछ नहीं खाता।

इस तरह से बहुत जल्द उसको उल्टी-दस्त होना शुरू हो जाता हैं। देखते-ही-देखते उसका स्वास्थ गिरता चला गया। उसकी बीमार होने की खबर को सुनकर आसपास के लोग उसे देखने के लिए इकट्ठा होना शुरू हो गए। वह देखता हैं कि उसे देखने वे लोग आए हैं, जिन्हें वह बहुत परेशान किया करता था। वही लोग ठीक होने के लिए तरह-तरह के घरेलू उपचार बता रहे थे। लेकिन सुबह से शाम हो गई, धीरू के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था।
शाम को उसकी हालत और खराब होते देख एक बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा- “हमें सबसे पहले इसे लेकर डॉक्टर के पास चलना चाहिए। क्योंकी घरेलू उपचार का विशेष लाभ नहीं मिल रहा हैं।” धीरू के परिवार वालों की सहमति के आधार पर उसे एक हास्पिटल में भर्ती करवाया गया। जहाँ पर उसका इलाज हुआ। सुबह जब उसकी आँखे खुली तो उसने अपने आपको एक हास्पिटल पाया। डॉक्टर ने उससे उसका हाल-चाल पूछा। धीरू जबाब देते हुए कहता हैं- “जी मैं पहले से स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ।” धीरू पूंछता हैं ‘लेकिन डॉक्टर साहब मुझे हुआ क्या हैं?’
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डॉक्टर उसे जबाब देते हुए कहता हैं कि- “तुमने जो जलेबी खाई थी, वह दूषित होने की वजह से ही तुम बीमार पड़े हो।” जहाँ से तुमने जलेबी ली थी, उसके दुकान के पास कूड़े और गंदगी का ढेर होने के कारण जलेबियों पर कितनी मक्खियाँ और मच्छर बैठते हैं। जिसकी वजह से उसकी जलेबी दूषित हो जाती हैं। जोकि हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती हैं।
डॉक्टर धीरू से और आगे कहता हैं कि इस तरह के खान-पान से आपको तरह-तरह की कई बीमारियाँ जैसे- मलेरिया, हैजा, उल्टी-दस्त हो सकता हैं। इसलिए, आपको हमेशा खान-पान की चीजे साफ-सुथरी जगह से ताजा खाना चाहिए। धीरू को सारी बातें समझ में आ जाती हैं। वह यह भी समझ जाता हैं कि अगर उसके आसपास के लोग उसे अस्पताल समय से नहीं लाए होते तो उसके साथ अनहोनी हो सकती थी।
धीरू अस्पताल से ठीक होकर बाहर आया। उसने अपने ग्रामीण वासियों से क्षमा मांगते हुए कहा- “अब वह किसी को परेशान नहीं करेगा, तथा वह अपनी ताकत का अभिमान भी नहीं करेगा” इस तरह लोग उसे क्षमा कर देते हैं। इसके अलावा धीरू प्रण करता हैं कि अब वह गंदी जगह पर बनी चीजों को कभी नहीं खाएगा।
कहानी से सीख:
हमें अपने ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए, इसके अलावा हमें खाने-पीने की चीजों को साफ-सुथरी जगह से लेना चाहिए।